तो दोस्तों कोविड-19 यानी कोरोनावायरस से थम चुके दुनिया अब धीरे-धीरे चलने लगी है इसलिए नहीं कि कोरोना का खौफ खत्म हो गया है।
बल्कि चलना अब दुनिया की मजबूरी बन चुका है भारत और अन्य विकासशील देश अब और ज्यादा lockdown को नहीं सह सकते भारत में करीब 50 करोड लोग मजदूरी करते हैं ये वह लोग हैं जो रोजाना जी तोड़ मेहनत करते हैं और शाम को मिली मजदूरी से राशन खरीदते हैं इन लोगों के पास इतनी जमा पूंजी नहीं है, जो कई महीनों तक महानगरों की महंगाई में बिना मजदूरी की अपना गुजारा चला सके।
इसलिए साधन ना मिलने के कारण यह लोग पैदल ही अपने गांव की ओर चल दिए लेकिन यह मजदूर अपना गुजारा तो अपने गांव में भी नहीं चला पाएंगे अगर गांव में रहने से इनका पेट भर गया होता तो ये लोग महानगरों की और आते ही नहीं इसलिए देश को चरणबद्ध तरीके से लोग डाउन हटाना ही होगा ताकि इन लोगों को फिर से रोजगार मिल सके लेकिन यह भी सच है कि अगर आप लोग डाउन हटाते हैं तो संक्रमण और तेजी से फैलने लगेगा ऐसे में हमारी अंतिम आस सिर्फ और उनकी वैक्सीन ही है इसी वजह से हम सबके मन में यह सवाल आना लाजमी है कि कोरोना की वैक्सीन आखिर कब तक उपलब्ध हो जाएगी।
वैक्सीन काम कैसे करती है? - (How does the vaccine work?)
दोस्तों सबसे पहले हमें यह समझने की जरूरत है कि वैक्सीनस काम कैसे करती हैं असल में हमारा शरीर हर प्रकार के वायरस या बीमारी को हरा सकता है जैसे ही कोई वायरस हमारे शरीर में जाता है तो हमारा शरीर उस वायरस को पहचान कर उससे लड़ने की शक्ति विकसित कर लेता है लेकिन हमारा शरीर अपनी शक्ति अचानक से विकसित नहीं कर पाता इस प्रक्रिया में 1 सप्ताह या उससे भी अधिक समय लग सकता है जबकि कई बार वायरस इतने ही समय में हमें बहुत बीमार कर चुका होता है आप जरा सोचिए कि अगर हमारा शरीर वायरस के हमले से पहले ही उस वायरस को मारने की शक्ति इजात कर ले तो, तो जाहिर है वायरस हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा दोस्तों कांटा कांटे से ही निकलता है बस इसी सिद्धांत पर सभी वैक्सीन काम करती हैं असल में वैक्सीन के जरिए वायरस का ही कुछ हिस्सा या फिर पूरा वायरस निष्क्रिय करके हमारे शरीर में इंजेक्ट कर दिया जाता है जैसे ही वह निष्क्रिय वायरस हमारे शरीर में जाता है तब हमारा शरीर अगले कुछ दिनों में वायरस की पहचान करके उसको नष्ट करने की शक्ति विकसित कर लेता है और चूंकि वैक्सीन के जरिए हमारे शरीर में गया वह वायरस निष्क्रिय होता है इसलिए वह वायरस हमें कोई नुकसान भी नहीं पहुंचा पाता लेकिन उस निष्क्रिय वायरस से उत्पन्न हुई हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति अब सक्रिय वायरस से लड़ने के लिए भी पूर्ण रुप से तैयार हो चुकी होती है
क्यों इतनी मुश्किलें आ रही है इस कोरोना की वैक्सीन बनाने में? - (Why are there so many difficulties in making this corona vaccine?)
दोस्तों कोरोना के मामले में मुश्किल ये है कि यह वायरस असल में सेल्स का म्यूटेशन है आसान भाषा में समझे तो यह वायरस बहुत तेजी से अपने आप को बदल लेता है जैसे ही हमारा शरीर इसे नष्ट करने की कोशिश करता है इस वायरस में परिवर्तन हो चुका होता है जिस कारण हमारे शरीर को दोबारा से अपनी लड़ाई शुरू करनी पड़ती है यही वजह है कि इस वायरस की वैक्सीन बनने में इतना समय लग रहा है
कैसे मात दिया जाएगा इस कोरोनावायरस को? - (How will this coronavirus be defeated?)
हमारे वैज्ञानिक लैब में कोरोनावायरस का जेनेटिक कोड तैयार करके इसकी वैक्सीन बनाने की कोशिश कर रहे हैं वास्तव में कोरोना की वैक्सीन बनाना अपने आप में एक ऐतिहासिक खोज होगी विशेषज्ञों का कहना है कि जिस रफ्तार से वैज्ञानिक कोरोनावायरस के टीके के लिए रिसर्च कर रहे हैं वह असाधारण है लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि किसी वैक्सीन के विकाश में सालों लग जाते हैं और कभी-कभी तो दशकों भी उदाहरण के लिए हाल ही में जिस ईबोला वैक्सीन को मंजूरी मिली है उसके विकास में 16 सालों का वक्त लग गया था जो कि वैक्सीन के जरिए ही शरीर में निष्क्रिय वायरस ही डाला जाता है इसलिए सालों तक किए गए क्लीनिकल ट्रायल के बाद यह बता पाना मुमकिन है कि वैक्सीन का साइड इफेक्ट क्या हो सकता है
हाल ही में बनाई जा रही वैक्सीन - (Recently made vaccine)
तो चलिए जानते हैं कोरोना के लिए दिन-रात शोध करके बनाई जा रही कुछ वैक्सीन के बारे में MRNA वैक्सीनस दोस्तों मॉडर्न थरोपेटिक्स नाम के बायो टेक्नोलॉजी कंपनी कोविड-19 की वैक्सिंनस के विकास के लिए नई रिसर्च रणनीति पर काम कर रही है आमतौर पर जिस वायरस के कारण हम बीमार होते हैं उसी वायरस का इस्तेमाल वैक्सीन बनाने के लिए किया जाता है लेकिन मॉडर्न थरोपेटिक्स के विज्ञानिको ने लैब में कोरोना वायरस का अलग से जेनेटिक कोड तैयार किया है उसी कोड के जरिए इस वैक्सीन को तैयार करने की कोशिश की जा रही है एक ओर जहां इस वैक्सीन को बनाने वाले वैज्ञानिक बेहद उत्साहित हैं वहीं दूसरी और जानकारों का यह भी मानना है कि ऐसे लैब में वायरस कहां जेनेटिक कोड तैयार करके आज तक के इतिहास में कोई दवा या इलाज की खोज नहीं की गई है कि इस वैक्सीन के नुकसान बेहद गंभीर हो यही वजह है कि इस वैक्सीन को बनाने वाले वैज्ञानिक अभी तक इसके मानव परीक्षण की इजाजत मिलने का इंतजार कर रहे हैं
Ad5-n_covid वैक्सीन दोस्तों चीन की बायोटेक कंपनी के SINOVAC बायोटेक कंपनी मार्च महीने से ही कोरोनावायरस के वैक्सीन को बनाने की जी तोड़ कोशिश कर रही है Ad5-n_covid वैक्सीन में एडिनोवायरस के खास वर्जन का इस्तेमाल बत्तोर वेक्टर किया जा रहा है एडिनोवायरस वायरस के उस समूह को कहते हैं जो हमारी आंखों स्वास नली फेफड़े आंत और हमारे नर्वस सिस्टम में संक्रमण का कारण बनते हैं वही वेक्टर का मतलब उस वायरस या एजेंट से है जिसका इस्तेमाल किसी कोशिका को DNA पहुंचाने के लिए किया जाता है वैज्ञानिकों का अंदाजा है कि यह उस प्रोटीन को सक्रिय कर देगा जो के संक्रमण से लड़ने में हमारी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार हो सकता है इसके अलावा चीन में एचआईवी जैसी बीमारी के लिए जिम्मेदार लेंटीवायरस से तैयार की गई सहायक कोशिकाओं का इस्तेमाल किए जाने पर भी विचार चल रहा है यह कोशिकाएं हमारी प्रतिरोधक क्षमता को सक्रिय करती हैं
CHADOX1 वैक्सीन ब्रिटेन के oxforde univercity के jenner institute में CHADOX1 वैक्सीन के विकास पर कार्य चल रहा है 23 अप्रैल से ही यूरोप में इसका पहला क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो चुका है ऑक्सफोर्ड की टीम वैक्सीन बनाने के लिए चिंपांजी से लिए एडोनोवायरस के कमजोर वर्जन का इस्तेमाल कर रही है इस वायरस में कुछ बदलाव भी किए गए हैं ताकि यह वायरस इंसानों में अपना विकास करना शुरू ना कर पाए वैज्ञानिकों का कहना है कि असल में वह लोग लैब में निष्क्रिय वायरस तैयार कर रहे हैं लेकिन इस वायरस को बनाने के लिए एक असल वायरस का ही इस्तेमाल किया जा रहा है इसलिए यह वायरस घातक नहीं होगा वही इस वायरस कि सतह पर कोरोना का ही प्रोटीन है जिस से उम्मीद की जा रही है कि इस वायरस से बनी वैक्सीन इंसानों में कोरोनावायरस के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता को सक्रिय कर देगी
इस दौड़ में हमें वैज्ञानिकों के लिए क्या करना चाहिए
दोस्तों यह सभी वैक्सीनस अभी तक कोरोना के लिए तैयार की जा रही वैक्सीन की दौड़ में सबसे आगे हैं लेकिन इनके अलावा भी दुनिया भर में कोरोना के लिए 20 से अधिक वैक्सीन पर जोरों शोरों से कार्य चल रहा है सभी देशों के होनहार वैज्ञानिक रात दिन मेहनत करके युद्ध स्तर पर हमारे प्राणों को बचाने के लिए वैक्सीन बनाने में जुटे हैं अधिकतर वैज्ञानिकों को अपने घर गए और अपने परिवारों से मिले भी महीने हो गए हैं वह सब लैब में 18 - 20 घंटों तक लगातार काम करते हैं और मौका मिलने पर लैब में
फर्श पर ही सो जाते हैं ऐसे में हमें कामना करनी चाहिए कि विज्ञानिक अपने प्रयासों में सफल हो और इस मनहूस चाइनीज वायरस के कार्य के लिए जल्द ही हमारे हाथों में वैक्सीन आ जाए दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आपको मेरा यह संदेश पसंद आया हो
अंत में मैं यही कहना चाहूंगा मुझे नहीं लगता कि भगवान हमारी मदद के लिए कुछ कर भी रहा है या नहीं लेकिन मैं एक चीज जरूर कहना चाहूंगा फिलहाल हमारे लिए इस परिस्थिति से बचने के लिए मेहनत कर रहे डॉक्टर तथा वैज्ञानिक ही भगवान है अगर आप मंदिर या किसी मस्जिद में जाओगे तो भी आपको कोरोनावायरस बीमार कर ही देगा आपको इन सब बातों के बारे में न्यूज़ चैनल के माध्यम से तो पता ही होगा खैर इस टॉपिक पर हम बाद में बात करेंगे फिलहाल अगर हमारे वेबसाइट से जुड़े रहने के लिए हमारा ऐप डाउनलोड कर सकते हैं तथा हमारा ईमेल सब्सक्रिप्शन भी ले सकते हैं अभी तक ध्यान से इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आपका दिल💗 से बहुत-बहुत धन्यवाद🙏 आपका दिन शुभ रहे😊
🙏Stay home,stay safe🙏
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